संराधन पदाधिकारियों के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 से जुड़े तथ्य 1. औद्योगिक विवाद क्या है ? औद्योगिक विवाद अधिनियम , 1947 के अनुसार “ industrial dispute” means any dispute or difference between employers and employers, or between employers and workmen, or between workmen and workmen, which is connected with the employment or non-employment or the terms of employment or with the conditions of labour, of any person; अर्थात " औद्योगिक विवाद" का मतलब किसी उद्योग या कार्यस्थल में उत्पन्न होने वाले मतभेद या संघर्ष से है। यह विवाद निम्नलिखित पक्षों के बीच हो सकता है: 1. नियोक्ता और नियोक्ता के बीच – जब दो या अधिक कंपनियां या प्रबंधन इकाइयाँ किसी औद्योगिक या व्यावसायिक मुद्दे पर असहमति रखती हैं। जैसे एक प्रबंधन इकाई कामगारों को बोनस देना चाहती है लेकिन दूसरी प्रबंधन इकाई इस विषय पर असहमत है। 2. नियोक्ता और श्रमिक के बीच – जब कोई कर्मचारी या कर्मचारी समूह नौकरी से संबंधित...
वैश्वीकरण के बाद से ही नियमित स्थायी श्रमिकों का हिस्सा श्रम बल में लगातार कम होता जा रहा है। बेरोजगारी एवं अप्रभावी श्रम नीतियों के कारण श्रम बाजार में मांग से अधिक श्रम उपलब्धता से कामगारों को नियोजक प्रायः अस्थायी संविदा/ठेका कामगारों के रूप में रखते है क्योंकि वे सस्ते श्रम होते है एवं उन्हें “रखना और निकालना” (Hire & Fire) भी आसान होता है। आज के इस टॉपिक में हम ठेका श्रमिक एवं ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम 1970 (Contract Labour and Contract Labour (Regulation and Abolition) Act 1970) के बारे में चर्चा करेंगे। ठेका श्रमिक एवं ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम 1970 संविदा/ठेका श्रमिक का अर्थ संविदा श्रम का अर्थ है उद्यमों में कार्य के लिए ठेकेदार द्वारा लगाए गए कामगार। ये कामगार आमतौर पर कृषि क्षेत्र, निर्माण उद्योग, पत्तन और ऑयल फील्ड कारखानों, रेलवे, नौवहन एयरलाइनों, सड़क परिवहन इत्यादि में लगाए जाते हैं। हाल ही में एनुअल सर्वे ऑफ इंडस्ट्रीज (ASI) से संबंधित आंकड़ों में इस बात की पुष्टि हुई है कि गत् वर्षो में अनुबंध कामगारों की संख्या में वृद्धि हुई है। उल्लेख...