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बिहार प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग कामगार (निबंधन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) अधिनियम, 2025



बिहार प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग कामगार (निबंधन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) अधिनियम, 2025 

बिहार सरकार द्वारा अधिसूचित बिहार प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग कामगार (निबंधन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) अधिनियम, 2025 एक महत्त्वपूर्ण श्रम-कल्याण कानून है, जिसका उद्देश्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर कार्यरत गिग कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा, उचित कार्य-परिस्थितियाँ और कल्याण योजनाएँ सुनिश्चित करना है। यह अधिनियम न केवल गिग अर्थव्यवस्था के नियमन की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को औपचारिक सुरक्षा-परिधि में लाने का प्रयास भी है।

उद्देश्य एवं दायरा

यह कानून पूरे बिहार राज्य में लागू होगा और उन सभी एग्रीगेटर्स, प्लेटफ़ॉर्मों तथा प्राथमिक नियोक्ताओं पर लागू होगा जो राज्य के भीतर सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं या अन्य राज्यों/विदेश से यहाँ सेवाएँ संचालित करते हैं। सभी गिग व प्लेटफ़ॉर्म आधारित कामगार जिनका पंजीकरण राज्य कल्याण बोर्ड में हुआ है, वे इसके अंतर्गत आएंगे।

प्रमुख परिभाषाएँ

अधिनियम में गिग कामगार, एग्रीगेटर, प्लेटफ़ॉर्म, यूनिक आईडी, कल्याण निधि शुल्क जैसे शब्दों की स्पष्ट परिभाषा दी गई है। गिग कामगार वे व्यक्ति हैं जो पारंपरिक नियोक्ता–कर्मचारी संबंध के बाहर संविदा पर कार्य करते हैं और जिनका भुगतान अनुबंध में दिए गए शर्तों के अनुसार होता है।

कल्याण बोर्ड का गठन एवं संरचना

राज्य सरकार प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग कामगार कल्याण बोर्ड की स्थापना करेगी। बोर्ड में श्रम संसाधन विभाग के मंत्री अध्यक्ष होंगे और विभिन्न विभागों के सचिव/प्रधान सचिव पदेन सदस्य, भारत सरकार के प्रतिनिधि, गिग कामगारों चार एवं एग्रीगेटरों के सदस्य चार तथा सिविल सोसाइटी के दो विशेषज्ञ शामिल होंगे। कम से कम एक-तिहाई सदस्य महिलाएँ होंगी। बोर्ड की जिम्मेदारी है कि वह गिग कामगारों और एग्रीगेटरों – दोनों का विधिवत पंजीकरण कराए और यह सुनिश्चित करे कि कल्याण निधि शुल्क वसूली की निगरानी के लिए एक सक्षम व्यवस्था मौजूद हो। वह न केवल सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करेगा, बल्कि उनके लाभ समय पर और सही पात्र को पहुँचें, इसकी भी देखरेख करेगा। योजनाओं की प्रगति पर नज़र रखते हुए, जहाँ जरूरत होगी वहाँ सरकार को सुधार के सुझाव देगा और महिलाओं या दिव्यांग कामगारों जैसे विशेष वर्गों के लिए अलग से योजनाएँ तैयार करेगा।

पंजीकरण व्यवस्था

  • कामगार पंजीकरण — एग्रीगेटर के माध्यम से, कार्यारंभ के 30 दिन के भीतर बोर्ड में पंजीकरण अनिवार्य है।

  • एग्रीगेटर पंजीकरण — अधिनियम लागू होने के 60 दिन के भीतर पंजीकरण आवश्यक है।

  • बोर्ड सभी पंजीकृत कामगारों का डिजिटल डेटाबेस बनाएगा और प्रत्येक कामगार को यूनिक आईडी प्रदान करेगा।

अनुबंध की पारदर्शिता व निष्पक्षता

कामगारों का अनुबंध सरल एवं स्थानीय भाषा में उपलब्ध करना होगा। किसी भी बदलाव की सूचना 14 दिन पहले देना अनिवार्य है। कामगार को उचित कारण से कुछ कार्य अस्वीकार करने का अधिकार है। सरकार अलग -अलग प्रकार के कार्यों के लिए अलग-अलग दिशा-निर्देश जारी कर सकती है।

स्वचालित निर्णय प्रणालियों में पारदर्शिता

एग्रीगेटर को यह बताना होगा कि एल्गोरिदम कैसे कार्य आवंटित करते हैं, रेटिंग प्रणाली क्या है, और व्यक्तिगत डेटा का उपयोग किस उद्देश्य से होता है। भेदभाव-रोधी उपाय और कार्य से रोकने या हटाने या आईडी डिएक्टिवेशन पर अपील का अवसर अनिवार्य है।

सेवा समाप्ति एवं आय सुरक्षा

सेवा समाप्ति से सात दिन पहले ही सूचना (आपात स्थिति को छोड़कर) देनी होगी और भुगतान में कटौती के कारण की स्पष्ट जानकारी कामगार को देना आवश्यक होगा। भुगतान सेवा-प्रदाय के सात दिन के भीतर करना होगा।

कल्याण निधि

अधिनियम के अंतर्गत एक सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण निधि स्थापित की जाएगी, जिसमें एग्रीगेटर से 1–2% तक उपकर के रूप में कल्याण शुल्क लिया जायेगा। एग्रीगेटर को यह रकम हर तिमाही के अंत में निधि में जमा करनी होगी। अगर भुगतान में देरी होती है, तो नियत तारीख से लेकर वास्तविक भुगतान की तारीख तक चक्रवृद्धि ब्याज लगेगा। उपकर के अतिरिक्त सरकारी अनुदान, दान और अन्य स्रोतों से भी राशि इसमें जमा की जा सकती है। इस कोष की राशि से कामगारों को दुर्घटना, मृत्यु, विकलांगता, मातृत्व लाभ जैसे सामाजिक सुरक्षा के लाभ दिए जायेंगे।

सामाजिक सुरक्षा

पंजीकृत गिग कामगारों को—जब उनकी पात्रताएँ पूरी हों—काम करते समय सामाजिक सुरक्षा का कवच मिलेगा। ड्यूटी के दौरान आकस्मिक मृत्यु पर 4 लाख रुपये का अनुग्रह देय होगा; दुर्घटना के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर एक हफ्ते से अधिक रहने पर 16,000 रुपये और एक हफ्ते से कम रहने पर 5,400 रुपये मिलेंगे। विकलांगता की स्थिति में 40–60% पर 74,000 रुपये, और 60% से अधिक पर 2.50 लाख रुपये दिए जाएंगे। महिला कामगार को गर्भावस्था व प्रसव से जुड़ी स्थिति में लगभग 90 दिनों की मजदूरी सहायता न्यूनतम मजदूरी के आधार पर मातृत्व सहायता के रूप में प्रदान की जाएगी। 

एग्रीगेटर/प्लेटफ़ॉर्म के विरुद्ध विवाद समाधान

अगर किसी एग्रीगेटर या प्लेटफ़ॉर्म से सौ या उससे अधिक गिग कामगार जुड़े हैं, तो उन्हें अपने यहां एक आंतरिक विवाद समाधान समिति बनानी होगी। जब कोई कामगार लिखित शिकायत देगा, तो समिति को उसे अधिकतम 30 दिनों के भीतर निपटाना होगा, ताकि मामला लंबा न खिंचे। और हां—अगर कामगार को समिति के नतीजे से संतोष न हो, तो वह औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत भी अपने हक के लिए आगे कदम उठा सकता है। 

कौशल विकास 

बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन के अलावा, बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि हर पंजीकृत गिग कामगार तक सही तरह के कौशल विकास कार्यक्रम पहुंचें। इसका मकसद है कि उनकी रोजगार पाने की क्षमता बढ़े, काम की उत्पादकता में सुधार हो और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत बने। साथ ही, ऐसे कदम उठाए जायेंगे जिनसे कामगार अपने कलेक्टिव, सहकारी समितियाँ या यूनियन बना सकें और उन्हें पंजीकृत कर सकें। इससे उन्हें वैधानिक मान्यता मिलेगी साथ ही ऋण या अनुदान तक उनकी पहुंच आसान हो सकेगी और उन्हें अपने क्षमता-विकास के लिए जरूरी सहयोग मिल सकेगा। 

कार्य-परिस्थिति

100 से अधिक कामगार होने पर आराम स्थलों की व्यवस्था तथा सुरक्षित, स्वास्थ्यकर कार्य-परिस्थिति सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।

शिकायत निवारण

राज्य सरकार एक शिकायत निवारण पदाधिकारी नियुक्त करेगी, जिसकी जिम्मेदारी होगी कि गिग कामगारों की समस्याओं का सुनवाई-निपटारा तय समय में हो। कोई भी कामगार, चाहे उसका मुद्दा अधिकार से जुड़ा हो, भुगतान को लेकर हो या किसी लाभ के बारे में हो, अपनी शिकायत ऑनलाइन, व्यक्तिगत रूप से या अन्य निर्धारित तरीकों से दर्ज करा सकेगा। शिकायत मिलने के बाद, तय प्रक्रिया के अनुसार उसकी जांच की जाएगी और अधिकतम 30 दिनों के भीतर एक स्पष्ट और उचित निर्णय जारी किया जाएगा। शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश से व्यथित व्यक्ति 90 दिनों में अपील कर सकता है; अपीलीय प्राधिकारी 60 दिनों के भीतर तर्कसंगत आदेश देगा, और उसका निर्णय अंतिम होगा। 

सामान्य शास्ति और दंड

अगर कोई एग्रीगेटर कल्याण निधि शुल्क जमा नहीं करता, तो उसे एक साल तक की कैद, दो लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों सज़ाएं दी जा सकती हैं। और अगर सज़ा मिलने के बाद भी वही गलती दोहराई जाती है, तो छह महीने तक की अतिरिक्त कैद या एक लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों लागू हो सकते हैं। इसी तरह, अगर जरूरी रिटर्न, रिपोर्ट या बयान देने से बचा जाता है, या देने से मना किया जाता है, तो अधिकतम तीन महीने की कैद या पचास हज़ार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।


हिंदी और अंग्रेजी में अधिनियम का गजट पढने के लिए यहाँ क्लिक करें 

Comments

Anonymous said…
Sir,You have done a commendable job to get this Act passed.It will be very beneficial for protecting the rights of Gig and Platform workers.
Anonymous said…
Bihar Govt ne kafi accha kaam kiya hai hum gig workers ke liye