"बाल श्रम" शब्द को सामान्यता बच्चों द्वारा किये गए ऐसे कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी शिक्षा और उनकी गरिमा से वंचित करता है, और जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में (5-14) आयु वर्ग के कामकाजी बच्चों की कुल संख्या 43.53 लाख है। जिसमें से उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश भारत में कुल कामकाजी बच्चों का लगभग 55% हैं। 2021 में ILO द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट “बाल श्रम: वैश्विक अनुमान 2020, रुझान और आगे की राह” में आईएलओ और यूनिसेफ ने अनुमान लगाया है कि दुनिया भर में बाल श्रम में बच्चों की संख्या बढ़कर 160 मिलियन हो गई है जिसमें पिछले चार वर्षों में 8.4 मिलियन बच्चों की वृद्धि हुई है और COVID-19 के प्रभावों के कारण लाखों बच्चे जोखिम में हैं। आईएलओ के इस रिपोर्ट के अनुसार कृषि क्षेत्र में बाल श्रम में 70 प्रतिशत (11.2 करोड़) बच्चे हैं, इसके बाद सेवा क्षेत्र में 20 प्रतिशत (3.14 करोड़) और उद्योग में 10 प्रतिशत (1.65 करोड़) हैं। 5 से 11 वर्ष की आयु के लगभग 28 प्रतिशत बच्चे और ...
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत