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सरकारी विभागों के मजदूरों के लिए श्रम कानून (Labour Law for Outsourcing Workers)

 

Prevention of Sexual Harassment Act, 2013 (यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम, 2013)

 The Prevention of Sexual Harassment (POSH) Act is an important legislation in India that aims to prevent and address cases of sexual harassment in the workplace. Here are the key points of the POSH Act: (यौन उत्पीड़न रोकथाम (POSH) अधिनियम भारत में एक महत्वपूर्ण कानून है जिसका उद्देश्य कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों को रोकना और उनका समाधान करना है। POSH अधिनियम के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:) 1. Definition of sexual harassment : The act defines sexual harassment broadly and includes unwelcome acts or behavior such as physical contact, sexually colored remarks, showing pornography, making sexual advances, or any other unwelcome physical, verbal, or non-verbal conduct of a sexual nature. ( यौन उत्पीड़न की परिभाषा : अधिनियम यौन उत्पीड़न को व्यापक रूप से परिभाषित करता है और इसमें अवांछित कार्य या व्यवहार जैसे शारीरिक संपर्क, यौन रंजीत टिप्पणियां, अश्लील साहित्य दिखाना, यौन संबंध बनाना, या कोई अन्य यौन प्रकृति के अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक आचरण शामिल है।) 2. Scope of appli...

दहेज़ प्रथा एवं दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961

प्रारंभ में दहेज प्रथा के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना था कि शादी के बाद दुल्हन आर्थिक रूप से स्थिर रहे। दुल्हन के माता-पिता दुल्हन को "उपहार" के रूप में पैसा, जमीन, संपत्ति देते थे, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी बेटी शादी के बाद खुश और स्वतंत्र हो। दहेज़ का इरादा आर्थिक शोषण नहीं था। लेकिन समय के साथ कई बदलाव हुए और माता-पिता को अपनी बेटी की शादी करने के लिए "विवाह ऋण" की आवश्यकता होने लगी। अब कई बार दहेज़ न देने के कारण महिलाओं को घरेलु हिंसा का शिकार होना पड़ता है। यहाँ तक कि कई मामलों में उनकी हत्या तक कर दी जाती है। ऐसे परिस्थितियों से महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए  दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 को लाया गया है। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम की मुख्य बातें निम्न प्रकार से है- 👉 यह अधिनियम 20 मई 1961 को अधिसूचित किया गया । 👉 अधिनियम के अनुसार दहेज का अर्थ है, विवाह के एक पक्ष द्वारा विवाह के दूसरे पक्ष को या विवाह के किसी भी पक्ष के माता-पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा, विवाह के किसी भी पक्ष को या किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या ...

मानव तस्करी और अनैतिक दुर्व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956

लगभग 300 साल पहले, भारतीय दासता अधिनियम, 1843 पारित किया गया था, जो गुलामी से जुड़े लेन-देन को गैरकानूनी घोषित किया गया और यदि कोई गुलामों की खरीद और बिक्री में भाग लेता था तो उसे भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत दंडित किया जाता था। लेकिन आज भी दासता कई रूपों में मौजूद है, जैसे- बंधुआ श्रम, बलात श्रम, मानव तस्करी, आदि। गुलामी की तरह मानव तस्करी व्यक्तिगत या वित्तीय लाभ के लिए मनुष्यों का शोषण है।व्यावसायिक सेक्स, ऋण बंधन या बलात श्रम के उद्देश्य से धोखाधड़ी या ज़बरदस्ती से नियोजक द्वारा पीड़ितों का शोषण किया जाता है। मानव तस्करी को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में बांटा गया है- यौन तस्करी, बलात या बंधुआ श्रम और घरेलू दासता। इसके अलावे बाल श्रम, बाल विवाह, प्रत्यारोपण हेतु मानव अंगों की माँग, महानगरों में घरेलु कार्यों के लिए, लैंगिक असुंतलन आदि के कारण भी मानव तस्करी होते है। मानव तस्करी के चंगुल में  गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्ति, बेरोजगार व्यक्ति, प्रवासी, बच्चे, भागे हुए या बेघर युवा, आदि के फंसने की संभावना ज्यादा होती है। आज के इस टॉपिक में हम  ह्यूमन ट्रैफिकिं...