प्रारंभ में दहेज प्रथा के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना था कि शादी के बाद दुल्हन आर्थिक रूप से स्थिर रहे। दुल्हन के माता-पिता दुल्हन को "उपहार" के रूप में पैसा, जमीन, संपत्ति देते थे, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी बेटी शादी के बाद खुश और स्वतंत्र हो। दहेज़ का इरादा आर्थिक शोषण नहीं था। लेकिन समय के साथ कई बदलाव हुए और माता-पिता को अपनी बेटी की शादी करने के लिए "विवाह ऋण" की आवश्यकता होने लगी। अब कई बार दहेज़ न देने के कारण महिलाओं को घरेलु हिंसा का शिकार होना पड़ता है। यहाँ तक कि कई मामलों में उनकी हत्या तक कर दी जाती है। ऐसे परिस्थितियों से महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 को लाया गया है। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम की मुख्य बातें निम्न प्रकार से है- 👉 यह अधिनियम 20 मई 1961 को अधिसूचित किया गया । 👉 अधिनियम के अनुसार दहेज का अर्थ है, विवाह के एक पक्ष द्वारा विवाह के दूसरे पक्ष को या विवाह के किसी भी पक्ष के माता-पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा, विवाह के किसी भी पक्ष को या किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या ...
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत