नई आर्थिक नीति में अपनाए गए सुधारवादी उपायों के कारण आज अर्थव्यवस्था उदारीकरण एवं निजीकरण से आगे बढ़ते हुए विश्वव्यापीकरण के दौर में चल रही है। विश्वव्यापीकरण राष्ट्रों की राजनीतिक सीमाओं के आर-पार आर्थिक लेनदेन की प्रक्रिया और उनके प्रबंधन का स्वतंत्र प्रवाह है। इस विश्वव्यापीकरण में देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत किया जाता है अर्थात इसमें वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी तकनीकी तथा श्रम संबंधी अंतरराष्ट्रीय बाजारों का एकीकरण हो जाता है। उदारीकरण तथा वैश्वीकरण की नीतियों को लागू करते समय यह धारणा थी कि इन नीतियों के फलस्वरूप नए उद्योग धंधे लगेंगे और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, किंतु वैश्वीकरण अपने उद्येश्यों तक पहुँचने में सफल होता नही दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार वैश्वीकरण ने आर्थिक अवसरों का सृजन तो किया है, लेकिन विकासशील देशों द्वारा रोजगार के अवसरों का सृजन करने की क्षमता में बढ़ोतरी न कर पाने के कारण उनकी बेरोजगारी भी चिंताजनक स्थिति में पहुंच गयी है। आज के इस टॉपिक में हम भारतीय श्रमिकों पर वैश्वीकरण के प्रभाव (Impact of Globalization on Indian...
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत