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Showing posts from August, 2023

संराधन पदाधिकारियों के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 से जुड़े तथ्य

  संराधन पदाधिकारियों के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 से जुड़े तथ्य   1.     औद्योगिक विवाद क्या है ? औद्योगिक विवाद अधिनियम , 1947 के अनुसार “ industrial dispute” means any dispute or difference between employers and employers, or between employers and workmen, or between workmen and workmen, which is connected with the employment or non-employment or the terms of employment or with the conditions of labour, of any person; अर्थात " औद्योगिक विवाद" का मतलब किसी उद्योग या कार्यस्थल में उत्पन्न होने वाले मतभेद या संघर्ष से है। यह विवाद निम्नलिखित पक्षों के बीच हो सकता है: 1.        नियोक्ता और नियोक्ता के बीच – जब दो या अधिक कंपनियां या प्रबंधन इकाइयाँ किसी औद्योगिक या व्यावसायिक मुद्दे पर असहमति रखती हैं। जैसे एक प्रबंधन इकाई कामगारों को बोनस देना चाहती है लेकिन दूसरी प्रबंधन इकाई इस विषय पर असहमत है। 2.        नियोक्ता और श्रमिक के बीच – जब कोई कर्मचारी या कर्मचारी समूह नौकरी से संबंधित...

कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948

 कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 यह अधिनियम बीमारी, मातृत्व, कार्य के दौरान दुर्घटना और कुछ अन्य विषयों पर कामगारों को लाभ देने का प्रयास करता है। इस अधिनियम का उद्येश्य है- बीमाकृत कर्मचारी को नियोजन के कारण दुर्घटना मृत्यु होने पर उसके आश्रितों को आर्थिक सहायता देना, नियोजन के कारण दुर्घटनाग्रस्त होकर अपंग होने पर उसको अपंगता के अनुसार आर्थिक सहायता देना, उप-जीविका जन्य रोगों में कामगार को आर्थिक सहायता देना, महिला कर्मचारी को प्रसूति हितलाभ उपलब्ध करवाना, चिकित्सीय सहायता उपलब्ध करवाना, आदि। इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्न है- 👉 इस योजना का विस्तार 10 या अधिक कामगार होने की स्थिति में गैर-मौसमी कारखानों, दुकानों, होटलों, रेस्तरां, सिनेमाघरों, थिएटर, शैक्षणिक-संस्थानों, सड़क-मोटर परिवहन उपक्रम, समाचार पत्र प्रतिष्ठान, बीमा व्यवसाय में लगे प्रतिष्ठान, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ, पोर्ट ट्रस्ट, हवाई अड्डा प्राधिकरण और वेयरहाउसिंग प्रतिष्ठान में किया गया है। 01.01.2017 से इस अधिनियम के तहत आच्छादन के लिए मजदूरी की सीमा अधिकतम 21000/- रुपए प्रतिमाह है। 👉 कर्मचारी राज्य बीमा नि...