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संराधन पदाधिकारियों के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 से जुड़े तथ्य

  संराधन पदाधिकारियों के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 से जुड़े तथ्य   1.     औद्योगिक विवाद क्या है ? औद्योगिक विवाद अधिनियम , 1947 के अनुसार “ industrial dispute” means any dispute or difference between employers and employers, or between employers and workmen, or between workmen and workmen, which is connected with the employment or non-employment or the terms of employment or with the conditions of labour, of any person; अर्थात " औद्योगिक विवाद" का मतलब किसी उद्योग या कार्यस्थल में उत्पन्न होने वाले मतभेद या संघर्ष से है। यह विवाद निम्नलिखित पक्षों के बीच हो सकता है: 1.        नियोक्ता और नियोक्ता के बीच – जब दो या अधिक कंपनियां या प्रबंधन इकाइयाँ किसी औद्योगिक या व्यावसायिक मुद्दे पर असहमति रखती हैं। जैसे एक प्रबंधन इकाई कामगारों को बोनस देना चाहती है लेकिन दूसरी प्रबंधन इकाई इस विषय पर असहमत है। 2.        नियोक्ता और श्रमिक के बीच – जब कोई कर्मचारी या कर्मचारी समूह नौकरी से संबंधित...

LSW MCQ-2; बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986

1.बाल एवं किशोर( प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत माता-पिता या अभिभावक द्वारा दुबारा अपने बच्चे को काम पर भेजने के आरोप में क्या दंड दिया जा सकता है ? 1.एक वर्ष तक का कारावास 2.अर्थदण्ड जो 10,000/-तक हो सकता है 3.एक वर्ष तक का कारावास तथा अर्थदण्ड जो 10,000/- तक हो सकता है 4. कोई दंड नहीं है 2. बाल तथा किशोर श्रम (निषेध तथा विनियमन) अधिनियम, 1986 के धारा 3 या 3A में दूसरी बार अपराधी के लिए किस सजा का प्रावधान है? 1.कम से कम 6 महीने का कारावास जो 2 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है 2.कम से कम 25,000/- जुर्माना जो 50,000/- तक बढ़ाया जा सकता है 3.एक अवधि के लिए कारावास जो 1 वर्ष से कम नहीं होगा लेकिन 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है 4.एक वर्ष से कम का कारावास जो 2 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है 3. सविधान के किस अनुच्छेद में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे का किसी कारखाने या खदान में नियोजन प्र...

बाल श्रम तथा बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986

"बाल श्रम" शब्द को सामान्यता बच्चों द्वारा किये गए ऐसे कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी शिक्षा और उनकी गरिमा से वंचित करता है, और जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में (5-14) आयु वर्ग के कामकाजी बच्चों की कुल संख्या 43.53 लाख है। जिसमें से उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश भारत में कुल कामकाजी बच्चों का लगभग 55% हैं। 2021 में ILO द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट “बाल श्रम: वैश्विक अनुमान 2020, रुझान और आगे की राह” में आईएलओ और यूनिसेफ ने अनुमान लगाया है कि दुनिया भर में बाल श्रम में बच्चों की संख्या बढ़कर 160 मिलियन हो गई है जिसमें पिछले चार वर्षों में 8.4 मिलियन बच्चों की वृद्धि हुई है और COVID-19 के प्रभावों के कारण लाखों बच्चे जोखिम में हैं। आईएलओ के इस रिपोर्ट के अनुसार कृषि क्षेत्र में बाल श्रम में 70 प्रतिशत (11.2 करोड़) बच्चे हैं, इसके बाद सेवा क्षेत्र में 20 प्रतिशत (3.14 करोड़) और उद्योग में 10 प्रतिशत (1.65 करोड़) हैं। 5 से 11 वर्ष की आयु के लगभग 28 प्रतिशत बच्चे और ...