संविधान का अनुच्छेद 39d कहता है की “there is equal pay for equal work for both men and women” अर्थात समान कार्य के लिए महिला और पुरुष दोनों को समान वेतन प्राप्त हो। पुरुषों और स्त्रियों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले इस सिद्धांत की मान्यता पूरे विश्व में रही है। अंतर्राष्टीय श्रम संगठन के समान कार्य के लिए महिला एवं पुरुषों को समान वेतन का का अभिसमय संख्या 100 को दस मूलभूत अभिसमयों में से एक माना गया है। इस अभिसमय पर सिफारिश संख्या- 90 (1951) समान पारिश्रमिक सिफारिश भी लाया गया है। भारत ने 1958 में ही समान पारिश्रमिकी अभिसमय को अनुसमर्थित कर दिया था। राष्ट्रीय श्रम आयोग ने भी 1969 में सिफारिश की “समान कार्य के लिए समान वेतन का सिद्धांत इस समय की अपेक्षा, अधिक संतोषजनक रूप से लागू करना चाहिये”। जिसके बाद 1975 में समान पारिश्रमिक अध्यादेश लाया गया और इस अध्यादेश को बाद में समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 से प्रतिस्थापित किया गया। इस अधिनियम का मुख्य उद्येश्य है- पुरुष एवं स्त्री कामगारों को समान कार्य के लिए समान वेतन उपलब्ध कराना तथा रोजगार में नियोजन और उससे जुड़े अन्य मामलों में ल...
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत