Maternity Benefit is a Constitutional Right भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि मातृत्व अवकाश एक संवैधानिक अधिकार है, चाहे महिला का तीसरा बच्चा ही क्यों न हो। इस फैसले ने मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व के निर्णय को पलट दिया, जिसमें तमिलनाडु की एक सरकारी स्कूल शिक्षिका को तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था। मामला क्या था? याचिकाकर्ता, जो एक सरकारी स्कूल शिक्षिका हैं, पहली शादी से दो बच्चों की मां थीं। दूसरी शादी के बाद उन्होंने तीसरा बच्चा जन्म दिया और मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया। लेकिन तमिलनाडु सरकार ने मौलिक नियम 101(a) का हवाला देकर उनकी छुट्टी को अस्वीकार कर दिया, जिसमें कहा गया है कि यदि महिला के दो जीवित बच्चे हैं तो उसे मातृत्व अवकाश नहीं मिलेगा। जब शिक्षिका ने इस फैसले को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी, तो पहले एकल-न्यायाधीश पीठ ने उनके पक्ष में फैसला दिया। लेकिन बाद में एक डिवीजन बेंच ने इस फैसले को पलट दिया और कहा कि मातृत्व अवकाश केवल कानूनी अधिकार है, जिसे सेवा नियमों के तहत नियंत्रित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्...
सभ्य कहलाने के लिए, एक समाज को अपने श्रमिक वर्ग को मनुष्य के रूप में सम्मान और सुरक्षा के साथ जीने का अधिकार देना होगा। यह सोच मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा और संयुक्त राष्ट्र, संगठन की प्रस्तावना में निहित है। मजदूर वर्ग की आकांक्षा राष्ट्रीय स्तर पर, राष्ट्र के संविधान में अभिव्यक्त होती है। भारत ने स्वतंत्र होने के बाद, 26 अप्रैल 1949 को एक वृहत एवं शक्तिशाली संविधान को अपनाया। भारतीय संविधान एक अद्वितीय बुनियादी राष्ट्रीय दस्तावेज है। शासन के लिए बुनियादी सिद्धांत प्रदान करने के अलावा, यह समाज के कमजोर वर्ग, विशेष रूप से श्रमिक वर्ग की आकांक्षाओं को यथेष्ट रूप से प्रस्तुत करता है। यह भी इतिहास की एक अजीब घटना है कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम और मजदूर वर्ग की मुक्ति का संघर्ष एक साथ हुआ और हमारे नेताओं ने मजदूरों की भलाई और भारत की आजादी दोनों के लिए संघर्ष किया। इस दौरान उन्होंने मजदूर वर्ग से कुछ वादे और प्रतिज्ञा किए, जिन्हें आजादी के बाद पूरा किया जाना था। उन सभी वादों और प्रतिज्ञाओं की अभिव्यक्ति संविधान में मिलती है। भारतीय संविधान की त्रिमूर्ति, प्रस्तावना, मौलिक अधिकार ...