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हालाँकि भारत सरकार द्वारा श्रम नीति की कोई निश्चित परिभाषा नहीं दी गयी है, परंतु मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि श्रम नीति से उन नियमों उपायों का बोध होता है जिन्हें उद्योगों में श्रमिक, नियोजक और राष्ट्र के आर्थिक प्रगति को ध्यान में रखते हुए लागू किया जाता है। श्रम नीति का प्रमुख उद्देश्य होता है कि ऐसे औद्योगिक वातावरण का निर्माण किया जाए जिससे श्रमिकों और नियोजकों के बीच पारस्परिक सहयोग की भावना बनी रहे। प्रोफेसर ए०के० जैन के अनुसार “श्रम नीति वह नीति है, जिसके द्वारा सरकार औद्योगिक संबंध, काम की स्थिति, प्रशिक्षण, शोध एवं अन्य महत्वपूर्ण समस्याओं के संबंध में अपने अभिप्राय व्यक्त करती है कि उसे नियोजकों तथा श्रमिकों के लिए क्या करना चाहिए”। एक विकासशील देश में तीव्र गति से आर्थिक विकास लाने के लिए समुचित व दृढ़ श्रम नीति का होना आवश्यक है। विकास की प्रारंभिक अवस्था में मूल्यों में वृद्धि, अधिक बेरोजगारी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अतः श्रम नीति का आयोजन इस प्रकार होना चाहिए कि इन समस्याओं को नियंत्रित किया जा सके। इस टॉपिक में हम भारत में श्रम नीति के संबंध में चर्चा कर...