“एक अच्छे लेखक का जन्म नहीं विकास होता है।” “शुद्ध, सुनिश्चित एवं स्पष्ट शब्दावली के माध्यम से भावों एवं विचारों के क्रमायोजित लिपिबद्ध प्रकाशन को लिखित रचना कहते हैं। लेखन कौशल में सुधार एक दिन में नहीं होगा। इसके लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है। लेकिन एक बार जब आप इसे अपना लेते हैं, तो यह आपका है। आत्म-विकास की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। हम प्रतिदिन अपने ज्ञान और अनुभव से कुछ नया सीखते हैं और उसे अपने समग्र व्यक्तित्व में जोड़ते जाते हैं । दृढ इच्छाशक्ति, नियमित अभ्यास और बेहतर मार्गदर्शन से हम अपने लेखन को तराश कर खुद में गुणात्मक सुधार ला सकते हैं। बेहतर लेखन कौशल सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता का आधार स्तंभ माना जाता है। परंतु प्रत्येक प्रतिभागी के मन में यह प्रश्न अवश्य उत्पन्न होता है कि इस लेखन कौशल को कैसे उत्कृष्ट बनाया जा सकता है और किस प्रकार इसमें गुणात्मक सुधार लाया जा सकता है। बेहतर लिखने की आकांक्षा में हम कई बार लिखना प्रारंभ ही नहीं कर पाते है। हम सोचते है कि जब सबकुछ मुझे अच्छे से आ जायेगा तो मैं लिखना प्रारंभ करूँगा और हम यहीं से अपने लेखन की कला के विका...
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत