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Factories Act Part-2 MCQs

Test Instructions –  Factories Act  All questions in this test are curated from the chapter on the Factories Act, 1948, as covered in our book  Labour Laws and Industrial Relations . 📚 If you’ve studied this chapter thoroughly, this quiz offers a chance to assess your understanding and retention. The test includes multiple-choice questions that focus on definitions, governance, benefits, and procedural aspects under the Act. ✅ Each correct answer awards you one mark. At the end of the test, your score will reflect your grasp of the subject and guide any revisions you might need. 🕰️ Take your time. Think through each question. Ready to begin? Let the assessment begin! Book- English Version - " Labour Laws & Industrial Relation " हिंदी संस्करण- " श्रम विधान एवं समाज कल्याण ” Factories Act Part-2 MCQs Factories Act, 1948 - Part-2 - MCQ Quiz Submit

मुख्य परीक्षा के लिए लेखन कौशल का विकास



“एक अच्छे लेखक का जन्म नहीं विकास होता है।” “शुद्ध, सुनिश्चित एवं स्पष्ट शब्दावली के माध्यम से भावों एवं विचारों के क्रमायोजित लिपिबद्ध प्रकाशन को लिखित रचना कहते हैं। लेखन कौशल में सुधार एक दिन में नहीं होगा। इसके लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है। लेकिन एक बार जब आप इसे अपना लेते हैं, तो यह आपका है। आत्म-विकास की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। हम प्रतिदिन अपने ज्ञान और अनुभव से कुछ नया सीखते हैं और उसे अपने समग्र व्यक्तित्व में जोड़ते जाते हैं । दृढ इच्छाशक्ति, नियमित अभ्यास और बेहतर मार्गदर्शन से हम अपने लेखन को तराश कर खुद में गुणात्मक सुधार ला सकते हैं।

बेहतर लेखन कौशल सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता का आधार स्तंभ माना जाता है। परंतु प्रत्येक प्रतिभागी के मन में यह प्रश्न अवश्य उत्पन्न होता है कि इस लेखन कौशल को कैसे उत्कृष्ट बनाया जा सकता है और किस प्रकार इसमें गुणात्मक सुधार लाया जा सकता है। बेहतर लिखने की आकांक्षा में हम कई बार लिखना प्रारंभ ही नहीं कर पाते है। हम सोचते है कि जब सबकुछ मुझे अच्छे से आ जायेगा तो मैं लिखना प्रारंभ करूँगा और हम यहीं से अपने लेखन की कला के विकास को अवरुद्ध कर देते है। William Faulkner का कहना है, “Get it down, take chances. It may be bad but it is the only way you can do anything really good.” हमें इस उपापोह से बहार निकल कर परीक्षा की तैयारी प्रारंभ करने के साथ ही लिखने का अभ्यास प्रारंभ करना होगा। भाषा के अन्य कौशलों की तरह ही लेखन कौशल केवल एक-दो दिनों में नहीं बनाई जा सकती। लेखन कौशल को बेहतर बनाने के लिए सबसे आवश्य तत्व है प्रतिदिन का अभ्यास। कहा गया है- करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान; रसरी आवत-जात ते, सिल पर पड़त निसान। आप इस बात को हमेशा याद रखिये कि “Practice makes a man perfect.” आप यह सोचना छोड़ दीजिये की आप अच्छा लिखेंगे या खराब। बस आप लिखना प्रारंभ कीजिये और फिर देखिये समय के साथ कैसे आपके लेखन कौशल में चमत्कार दिखाई देता है।

लेखन कौशल विकास के लिए ध्यान देने योग्य बातें-

1.स्वच्छ एवं अच्छी लिखावट- लिखावट पर अभ्यर्थियों में काफी उलझन और ऊहापोह की स्थिति रहती है। कोई कहता है लिखावट का असर प्राप्तांक पर नहीं होता है जबकि कोई कहता है सुंदर लिखावट आपको मुख्य परीक्षा में बेहतर अंक दिलाता है। इसके संबंध में UPSC स्वयं कहता है कि हस्तलिपि पठनीय होनी चाहिए। लिहाजा आपसे स्पष्ट और यथासंभव अच्छी लिखावट की उम्मीद की जाती है। यदि आप लिखने के दौरान बार-बार कटिंग करते हैं तो यह कमोबेश परीक्षक के मन में नकारात्मक प्रभाव डालता है। यदि आप पठनीय लिखावट में नहीं लिखते है तो संभावना है कि आप औसत मार्किंग के शिकार हो जायेंगे।

2.व्यवस्थित प्रवाहयुक्त लेखन- आपकी लेखन शैली सुव्यवस्थित और प्रवाहयुक्त होनी चाहिए। प्रवाह-युक्त लेखन के लिए जरूरी है कि सहसा जो मन में आए, उसे लिखने से बचते हुए 'कहीं को ईंट, कहीं का रोड़ा' न जोड़ें। यदि आप अपने उत्तर की एक रुपरेखा लिखना प्रारंभ करने के पूर्व तैयार कर लेते है तो आप व्यवस्थित एवं धाराप्रवाह तरीके से लिख सकते है। निबंध लिखते समय रूपरेखा बनाने का पर्याप्त समय मिल जाएगा पर सामान्य अध्ययन में अधिक प्रश्न होने के कारण शायद आप रूपरेखा बनाने से बचने का प्रयास करेंगे जो उपयुक्त नहीं होगा। क्रमबद्ध लेखन से परीक्षक आप क्या कहना चाहते है वह स्पष्ट हो जाता है जिसका सीधा प्रभाव आपके अंकों पर होता है।

3.सहज शब्दावली- अभ्यर्थीयों की एक बड़ी उलझन यह भी होती है कि हम उत्तर लिखते समय किस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल करें। देखिये आपको प्रश्न पत्र पर लिखा मिलता है “परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।” 'भाषा पर अधिकार' का मतलब शुद्ध संस्कृतनिष्ठ भाषा का ही प्रयोग नहीं है। सामान्य, सहज और सरल भाषा का इस्तेमाल करें। उर्दू और अंग्रेजी के ऐसे शब्द, जो पूरी तरह हिंदी में घुल-मिल गए हैं, उनका प्रयोग कर सकते है। बस, सहजता का ध्यान रखें।

4.वर्तनी की शुद्धता- वर्तनी (spelling) की गलतियों से बचने की कोशिश करें। एक परिपक्व स्नातक से अपेक्षा की जा सकती है कि वह सही तरीके से लिखना जानता हो। यदि आप अशुद्ध लेखन करेंगे तो पाठक को आपके लिखे लेख को पढ़ने में अरुचि पैदा हो जाएगी जिसका प्रभाव आपके अंकों पर पड़ेगा।

5.लेखन की गति- लेखन की गति का बेहतर होना वर्तमान पैटर्न की जरूरत है। प्रश्न-पत्र को पूरा हल करने के लिए आपको तेज गति से लिखने का अभ्यास करना होगा। अच्छे अंक पाने के लिए पूरा पेपर हल करना जरूरी है, और यह तभी संभव है जब तेज गति से परीक्षा में लिखा जाए। अत: लेखन की गति सुधारें, पर साथ ही पठनीयता भी बनाए रखें। इसका रास्ता भी अभ्यास से होकर गुजरता है।

6.पैराग्राफ में लेखन- कई छात्रों के मन में प्रश्न आता है कि पैराग्राफ में लिखें या बुलेट पॉइंट्स में। मुख्य परीक्षा में आदर्श रूप से उत्तर पैराग्राफ में लिखा जाना चाहिए। इस तरह के उत्तर में परिचयात्मक पैराग्राफ, पैराग्राफ में उत्तर का मुख्य भाग और समापन या निष्कर्ष पैराग्राफ शामिल होते हैं। यथासंभव उत्तर पैराग्राफ में लिखें, अन्यथा परीक्षक के लिए आपका उत्तर पढ़ना और समझना कठिन हो सकता है। उत्तर पुस्तिकाओं की नमूना कॉपी लेकर उस पर पैराग्राफ में लिखने का अभ्यास करें। हालाँकि तथ्य आधारित उत्तर दोनों पैराग्राफ और बुलेट में या दोनों के संयोजन में लिखा जा सकता है।

7.शब्द एवं समय-सीमा का पालन- मेरा सुझाव है कि शब्द एवं समय सीमा का कड़ाई से पालन करें। एक प्रश्न का बड़ा उत्तर लिखने की कोशिश में बाकी प्रश्नों को नजरअंदाज न करें। साथ ही एक प्रश्न आपको कितने समय में लिख लेना है इसका भी एक अनुमान रखें। जैसे आपको BPSC में 3 घंटों में तीन निबंध लिखना है तो एक निबंध पर 55-65 मिनट से ज्यादा नहीं दें। इससे आपको पूरा पेपर ठीक से हल करने में मदद मिलेगी, साथ ही यह भी पहले ही सोच लें कि आप आमतौर पर एक पृष्ठ पर कितने शब्द लिखते हैं। इससे आपको निर्धारित शब्द सीमा का पालन करने में आसानी होगी। परीक्षा हॉल में बैठकर उत्तर में लिखे शब्द गिनने पड़ें। 10-20 शब्द इधर-उधर हो जाएँ तो चिंतित न हों।

8.एकीकृत एवं संतुलित दृष्टिकोण- लेखन कौशल को बेहतर बनाने में ध्यान देने वाली एक बात और है, लिखने के दौरान समावेशी, एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण अपनाना। अभ्यार्थी को प्रयास करना चाहिए कि आप जब लिखें तो संतुलित तरीके से लिखें। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और सत्य उनके बीच में कहीं छिपा होता है। किसी एक पक्ष के तरफ स्वयं का झुकाव न दिखाते हुए अतिवाद से हमेशा बचें। आप ध्यान रखें कि लेखन अभ्यास के दौरान आपमें विषय या प्रश्न से जुड़े ज्यादातर पहलुओं का समावेश करने की कला भी विकसित हो सके। ज्यादा बातों को कम शब्दों में अभिव्यक्त कर देना, यानी 'गागर में सागर भरना' एक बेहतरीन कला है और इसे अभ्यास से अर्जित किया जा सकता है।

9.संक्षेपण एवं विस्तारण की कला- लेखन कौशल का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है- संक्षेपण (Precis) और विस्तारण (expansion) की कला । सिविल सेवा की परीक्षा में अक्सर ऐसा होता है कि किसी विषय पर आपकी जानकारी कम होती है, पर उसके उत्तर की शब्द सीमा ज्यादा होती है। कभी-कभी इसके उलट भी होता है, जब किसी प्रश्न के उत्तर में हमें भरपूर ज्ञान है, पर उत्तर में 200-300 शब्द लिखना है। ऐसे में अगर आप ज्यादा ज्ञान को कम शब्दों में समेटने या कम सूचना को अधिक शब्दों में पल्लवित करने की कला सीख जाएँ तो काम काफी आसान हो जाएगा।

10.दैनिक लेखन अभ्यास- जीवन में कुछ भी सीखने के लिए निरंतर अभ्यास परम आवश्यक है। नीतिशास्त्र में कहा गया है, “अभ्यासो  न हि व्यक्तव्यः अभ्यासो ही परम् बलम्। अनभ्यासे विषम विद्या अजीर्णे भोजनम् विषम ।।” स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं; हमें उत्तम बनने के लिए अभ्यास करना चाहिए। अभ्यास चीजों को आसान बना देता है, अभ्यास हमें वो बनाएगा जो हम बनना चाहते हैं। अभ्यास के महत्व को बतलाते हुए श्रीमद्भगवतगीता में कहा गया है, “असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् । अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्येते ।।” लेखन कौशल के विकास में भी महत्वपूर्ण बात है लिखने का निरंतर अभ्यास करना।

मुख्य परीक्षा में बेहतर उत्तर लेखन के पूर्व ध्यान देने योग्य प्रमुख बातें-

Ø किसी भी प्रश्न के उत्तर पर विचार करने से पहले प्रश्न को पूरी तरह से और सही ढंग से समझ लें। मुख्य परीक्षा में प्रश्न कुछ निर्देशों के साथ आते हैं जैसे चर्चा करें, प्रकाश डालें, आलोचनात्मक मूल्याङ्कन करें, आदि। उत्तर में परीक्षक आपसे क्या उम्मीद कर रहे है, इसकी समझ आवश्यक है अन्यथा आपका उत्तर दिशाहीन हो सकता है।

Ø वास्तव में कागज पर कुछ भी करने से पहले उत्तर का एक बुनियादी मानसिक ढांचा विकसित करें। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कौशल है जिसे आपको निश्चित रूप से विकसित करने की आवश्यकता है। अभ्यास के साथ यह करना आसान हो जाता है। जिस क्षण आपने किसी दिए गए प्रश्न को पढ़ और समझ लिया है, आप तुरंत अपने दिमाग में उत्तर के लिए संरचना बनाना शुरू कर दें और उन बिन्दुओं को नोट कर लें। अपने उत्तर को परिचय, मुख्य भाग और निष्कर्ष में बाँटें।

Ø अपने उत्तर का उपयुक्त परिचय लिखें। आदर्श रूप से, प्रस्तावना में न केवल परीक्षक को विषय/मुद्दे/विचार का परिचय देना चाहिए बल्कि संक्षेप में उत्तर के केंद्रीय आधार का वर्णन करना चाहिए। यदि प्रश्न के दो या दो से अधिक भाग हैं, तो सभी भागों का संक्षिप्त परिचय दिया जाना चाहिए। परिचय किसी भी कीमत पर शब्द सीमा के 20% से अधिक लंबा नहीं होना चाहिए, और इसकी आदर्श लंबाई शब्द सीमा का लगभग 10% है। अपने परिचय को प्रस्तुत करने के लिए पहले उस समस्या/मुद्दे/विचार को चुनें जिसके बारे में प्रश्न पूछताछ कर रहा है। फिर उसमें उस उत्तर की एक पंक्ति का संस्करण जोड़ें जिसे आप लिखने की योजना बना रहे हैं। अंत में, यदि स्थान अनुमति देता है तो दूसरी पंक्ति में 'निर्णय/भावना/निर्णय' लिखें। तो, मूल रूप से, परिचय तीन वाक्य हैं, जो परीक्षक को पहले से बता देते हैं कि आप उत्तर जानते हैं और आप सही उत्तर की तलाश में इधर-उधर नहीं भटकेंगे।

Ø उत्तर के मुख्य भाग को आवश्यकतानुसार पैराग्राफ (या बुलेट पॉइंट्स) में विभाजित करें। प्रत्येक पैराग्राफ या बुलेट में केवल एक बिंदु होना चाहिए (जब तक कि अन्यथा करना बहुत आवश्यक न हो) और सबसे महत्वपूर्ण बिंदु या जिन बिंदुओं को आपने पूरी तरह याद किया है, उन्हें पहले लिखा जाना चाहिए। आप आवश्यकतानुसार डायग्राम, फ्लो चार्ट आदि का उपयोग कर सकते है। जब आपको किसी मुद्दे के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं पर चर्चा करने के लिए कहा जाता है, तो आप या तो सभी सकारात्मक को एक पैराग्राफ में सूचीबद्ध कर सकते हैं और फिर नकारात्मक को सूचीबद्ध कर सकते हैं या आप प्रत्येक पैराग्राफ में सकारात्मक-नकारात्मक संयोजन के लिए जा सकते हैं।

Ø एक संतुलित निष्कर्ष के साथ अपने उत्तर को समाप्त करें। आप एक स्वस्थ सकारात्मक राय के साथ अपने निष्कर्ष को संतुलित कर सकते हैं। जरूरी नहीं कि राय मौलिक हो लेकिन आदर्श रूप से (और अधिकतर) सकारात्मक होनी चाहिए। कभी भी एक नकारात्मक विचार के साथ उत्तर समाप्त न करें, आपको बादलों में उम्मीद की किरण देखने में सक्षम होना चाहिए। साथ ही, कभी भी दूसरा प्रश्न पूछकर निष्कर्ष समाप्त न करें। यदि आप किसी प्रश्न को अपने उत्तर के भाग के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं, तो ऐसा उत्तर के मुख्य भाग में ही करें। साथ ही, बयानबाजी में अपने उत्तर को समाप्त करने से बचें और इसके बजाय एक समाधान या आगे बढ़ने का प्रयास करें। यह दिमाग के सकारात्मक झुकाव और समाधान खोजने की इच्छा को दर्शाता है, जो सिविल सेवा की तैयारी करने वाले उम्मीदवार के पास अवश्य होनी चाहिए। अपना उत्तर समाप्त करने के लिए, एक साधारण वाक्य से शुरू करें जो उत्तर के सभी मुख्य तत्वों/बिंदुओं/तर्कों को एक साथ लाता है। उपर्युक्त सकारात्मक राय के साथ इसका पालन करें। अंतिम वाक्य परिचय में उल्लिखित 'निर्णय/भावना/निर्णय' को दोहराते हुए एक सामान्य कथन होना चाहिए।

Ø मुख्य परीक्षा में यथासंभव क्रमवार प्रश्नों को हल करें। क्रमवार प्रश्नों को हल करने से परीक्षक पर आपके लेखन का अच्छा प्रभाव पड़ता है।

उपरोक्त सुझावों को ध्यान में रखकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने पर एक उम्मीदवार निश्चित रूप से बेहतर परिणाम की उम्मीद कर सकता है।               

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