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Showing posts from April, 2023

सरकारी विभागों के मजदूरों के लिए श्रम कानून (Labour Law for Outsourcing Workers)

 

LSW MCQ-9; बीड़ी तथा सिगार कर्मकार (नियो० की शर्तें) अधिनियम, 1966

इस टेस्ट में पूछे गए सभी प्रश्न हमारे पुस्तक " श्रम विधान, औद्योगिक संबंध एवं समाज कल्याण   " से लिया गया है। यदि आपने इसका बीड़ी तथा सिगार कर्मकार (नियो० की शर्तें) अधिनियम, 1966 वाला अध्याय पढ़ लिया है तो आप यह टेस्ट दे सकते है। - Labour Law Quiz Question of Time Remaining: Next Good Try! You Got out of answers correct! That's TryAgain

LSW MCQ-8; उपादान भुगतान अधिनियम, 1972

इस टेस्ट में पूछे गए सभी प्रश्न हमारे पुस्तक " श्रम विधान, औद्योगिक संबंध एवं समाज कल्याण   " से लिया गया है। यदि आपने इसका उपादान भुगतान अधिनियम, 1972 वाला अध्याय पढ़ लिया है तो आप यह टेस्ट दे सकते है। - Labour Law Quiz Question of Time Remaining: Next Good Try! You Got out of answers correct! That's TryAgain

LSW MCQ-7; कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923

इस टेस्ट में पूछे गए सभी प्रश्न हमारे पुस्तक " श्रम विधान, औद्योगिक संबंध एवं समाज कल्याण   " से लिया गया है। यदि आपने इसका कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923 वाला अध्याय पढ़ लिया है तो आप यह टेस्ट दे सकते है। - Labour Law Quiz Question of Time Remaining: Next Good Try! You Got out of answers correct! That's TryAgain

समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 (समान कार्य समान वेतन)

संविधान का अनुच्छेद 39d कहता है की “there is equal pay for equal work for both men and women” अर्थात समान कार्य के लिए महिला और पुरुष दोनों को समान वेतन प्राप्त हो। पुरुषों और स्त्रियों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले इस सिद्धांत की मान्यता पूरे विश्व में रही है। अंतर्राष्टीय श्रम संगठन के समान कार्य के लिए महिला एवं पुरुषों को समान वेतन का का अभिसमय संख्या 100 को दस मूलभूत अभिसमयों में से एक माना गया है। इस अभिसमय पर सिफारिश संख्या- 90 (1951) समान पारिश्रमिक सिफारिश भी लाया गया है। भारत ने 1958 में ही समान पारिश्रमिकी अभिसमय को अनुसमर्थित कर दिया था। राष्ट्रीय श्रम आयोग ने भी 1969 में सिफारिश की “समान कार्य के लिए समान वेतन का सिद्धांत इस समय की अपेक्षा, अधिक संतोषजनक रूप से लागू करना चाहिये”। जिसके बाद 1975 में समान पारिश्रमिक अध्यादेश लाया गया और इस अध्यादेश को बाद में समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 से प्रतिस्थापित किया गया। इस अधिनियम का मुख्य उद्येश्य है- पुरुष एवं स्त्री कामगारों को समान कार्य के लिए समान वेतन उपलब्ध कराना तथा रोजगार में नियोजन और उससे जुड़े अन्य मामलों में ल...

LSW MCQ-6; मातृत्व हितलाभ अधिनियम, 1961

इस टेस्ट में पूछे गए सभी प्रश्न हमारे पुस्तक " श्रम विधान, औद्योगिक संबंध एवं समाज कल्याण   " से लिया गया है। यदि आपने इसका मातृत्व हितलाभ अधिनियम, 1961 वाला अध्याय पढ़ लिया है तो आप यह टेस्ट दे सकते है। टेस्ट के अंत में आपको आपका प्राप्तांक मिलेगा- Labour Law Quiz Question of Time Remaining: Next Good Try! You Got out of answers correct! That's TryAgain

LSW MCQ-5; समान परिश्रमिक अधिनियम, 1976

इस टेस्ट में पूछे गए सभी प्रश्न हमारे पुस्तक " श्रम विधान, औद्योगिक संबंध एवं समाज कल्याण   " से लिया गया है। यदि आपने इसका समान परिश्रमिक अधिनियम, 1976 वाला अध्याय पढ़ लिया है तो आप यह टेस्ट दे सकते है। टेस्ट के अंत में आपको आपका प्राप्तांक मिलेगा- Labour Law Quiz Question of Next Good Try! You Got out of answers correct! That's TryAgain

दहेज़ प्रथा एवं दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961

प्रारंभ में दहेज प्रथा के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना था कि शादी के बाद दुल्हन आर्थिक रूप से स्थिर रहे। दुल्हन के माता-पिता दुल्हन को "उपहार" के रूप में पैसा, जमीन, संपत्ति देते थे, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी बेटी शादी के बाद खुश और स्वतंत्र हो। दहेज़ का इरादा आर्थिक शोषण नहीं था। लेकिन समय के साथ कई बदलाव हुए और माता-पिता को अपनी बेटी की शादी करने के लिए "विवाह ऋण" की आवश्यकता होने लगी। अब कई बार दहेज़ न देने के कारण महिलाओं को घरेलु हिंसा का शिकार होना पड़ता है। यहाँ तक कि कई मामलों में उनकी हत्या तक कर दी जाती है। ऐसे परिस्थितियों से महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए  दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 को लाया गया है। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम की मुख्य बातें निम्न प्रकार से है- 👉 यह अधिनियम 20 मई 1961 को अधिसूचित किया गया । 👉 अधिनियम के अनुसार दहेज का अर्थ है, विवाह के एक पक्ष द्वारा विवाह के दूसरे पक्ष को या विवाह के किसी भी पक्ष के माता-पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा, विवाह के किसी भी पक्ष को या किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या ...

मजदूरी भुगतान अधिनियम, 1936 (Payment of Wage Act, 1936)

श्रमिकों के लिए मजदूरी की निर्धारित मात्रा के साथ-साथ उसका समय पर वैध मुद्रा में भुगतान, भुगतान का तरीका, मनमाने कटौती से संरक्षण, आदि भी आवश्यक होता है। यदि श्रमिक को समय पर मजदूरी नहीं मिले, उसकी इच्छा के विरुद्ध नकदी के बजाय वस्तु में मजदूरी मिले, मनमाने ढंग से मजदूरी से कटौती कर लिया जाए तो श्रमिक का कार्य के प्रति अभिरुचि कम होना स्वाभाविक है। मजदूरी भुगतान में व्याप्त कुव्यवस्था की जाँच के लिए 1926 में मजदूरी भुगतान संबंधी समिति का गठन किया गया। सरकार ने इस समिति समिति की अनुशंसाओं को ध्यान में रखकर कानून बनाने के लिए कदम उठाये, लेकिन 1929 में शाही श्रम आयोग के गठन के बाद मामला पुनर्विचार के लिए आयोग को दिया गया। शाही श्रम आयोग के सुझावों के बाद 1933-34 में दिल्ली सत्र में यह बिल चयन समिति के समक्ष रखा गया जो कतिपय कारणों से पास नहीं हो सका। हालाँकि बाद में ब्रिटिश सरकार द्वारा 1936 में मजदूरी भुगतान अधिनियम पारित किया गया। आज के इस टॉपिक में हम मजदूरी भुगतान अधिनियम, 1936 (Payment of Wage Act, 1936)  के बारे में चर्चा करेंगे। मजदूरी भुगतान अधिनियम, 1936  मज़दूरी भुग...