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संराधन पदाधिकारियों के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 से जुड़े तथ्य

  संराधन पदाधिकारियों के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 से जुड़े तथ्य   1.     औद्योगिक विवाद क्या है ? औद्योगिक विवाद अधिनियम , 1947 के अनुसार “ industrial dispute” means any dispute or difference between employers and employers, or between employers and workmen, or between workmen and workmen, which is connected with the employment or non-employment or the terms of employment or with the conditions of labour, of any person; अर्थात " औद्योगिक विवाद" का मतलब किसी उद्योग या कार्यस्थल में उत्पन्न होने वाले मतभेद या संघर्ष से है। यह विवाद निम्नलिखित पक्षों के बीच हो सकता है: 1.        नियोक्ता और नियोक्ता के बीच – जब दो या अधिक कंपनियां या प्रबंधन इकाइयाँ किसी औद्योगिक या व्यावसायिक मुद्दे पर असहमति रखती हैं। जैसे एक प्रबंधन इकाई कामगारों को बोनस देना चाहती है लेकिन दूसरी प्रबंधन इकाई इस विषय पर असहमत है। 2.        नियोक्ता और श्रमिक के बीच – जब कोई कर्मचारी या कर्मचारी समूह नौकरी से संबंधित...

बिहार की अर्थव्यवस्था का अवलोकन

दोस्तों बिहार के संबंध क्या आप निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर बता सकते है?
  • बिहार की अर्थव्यवस्था में स्थिर मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 2021-22 में कितने प्रतिशत की वृद्धि हुई है?
  • स्थिर मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद में बिहार की अर्थव्यवस्था 2020- 21 में कितने प्रतिशत रही?
  • बिहार में प्राथमिक क्षेत्र के अंदर सकल राज्य घरेलू उत्पाद में सर्वाधिक योगदान करने वाले उप-क्षेत्र कौन से है?
  • 2021-22 में बिहार का प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर कितना रुपया रहा?
  • प्रति व्यक्ति आय के अनुसार बिहार का सबसे समृद्ध जिला कौन सा है?
यदि आप इन तथ्यों से अवगत नहीं हैं तो आइये पढ़ते है इस आर्टिकल को.............




इस टॉपिक को समझने से पहले आइये जानते है कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को-

सकल राज्य घरेलू उत्पाद- सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक वर्ष और बिना दोहराव के) के दौरान राज्य की भौगोलिक सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं की कुल मात्रा का मौद्रिक उपाय है। राज्य के आर्थिक विकास को मापने के लिये सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) या राज्य की आय सबसे महत्त्वपूर्ण संकेतक है।राज्य घरेलू उत्पाद को प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र और तृतीयक क्षेत्र जैसे तीन व्यापक क्षेत्रों के तहत वर्गीकृत किया गया है। 

निवल राज्य घरेलू उत्पाद- किसी राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में से उस राज्य संपत्ति पर मूल्यह्रास (डिप्रेसिएशन) को घटाने पर निवल राज्य घरेलू उत्पाद (NSDP)) प्राप्त होता है।

प्राथमिक क्षेत्र- प्राथमिक क्षेत्र अर्थव्य्वस्था का वह क्षेत्र है जो प्राकृतिक संसाधनों का सीधा उपयोग करता है। इसमें कृषि, वानिकी, मछली पकड़ना और खनन भी शामिल हैं। 

द्वितीयक क्षेत्र- इस क्षेत्र में, कच्चे माल को विनिर्माण की प्रक्रिया के माध्यम से तैयार माल में बदला जाता है। इस गतिविधि को औद्योगिक गतिविधि भी कहा जाता है। द्वितीयक क्षेत्र को हम माध्यमिक क्षेत्र के नाम से भी जानते है। द्वितीयक क्षेत्र में विद्युत उपकरण निर्माण, खाद्य निर्माण, कपड़ा उत्पादन, हस्तशिल्प और उद्योग शामिल हैं।

तृतीयक क्षेत्र- तृतीयक क्षेत्र प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को सहायता प्रदान करता है और यह उत्पादन प्रक्रिया के लिए भी सहायता प्रदान करता है। तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। तृतीयक गतिविधियों में वित्तीय सेवाएं, परिवहन, दूरसंचार, स्वास्थ्य सेवाएं, परामर्श, खुदरा आदि शामिल हैं।

  1. बिहार की अर्थव्यवस्था ने 2021-22 में जोरदार वापसी की है। त्वरित अनुमान के अनुसार, स्थिर मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 2020-21 के नकारात्मक 3.2 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में 2021-22 में 10.98 प्रतिशत की जबर्दस्त वृद्धि हुई है। जबकि वर्ष 2021 22 में राष्ट्रीय वृद्धि दर 8.68 प्रतिशत थी। 

  2. बिहार देश का अपेक्षाकृत कम आय वाला राज्य है। त्वरित अनुमान के अनुसार, 2021-22 में राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 6,75,448 करोड़ रुपया और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 4,28,065 करोड़ रुपया था। वहीं, 2021 22 में राज्य का निवल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 6,14,431 करोड़ रुपया और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 3,82,274 करोड़ रुपया था। फलतः, बिहार का प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 54,383 रुपया और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 34,465 रुपया था। 

  3. प्राथमिक क्षेत्र के अंदर सकल राज्य घरेलू उत्पाद में सर्वाधिक योगदान करने वाले दो उप-क्षेत्र 'पशुधन' और 'मत्स्याखेट एवं जलकृषि' हैं, जिनकी वृद्धि दरें 2017-18 और 2021-22 के बीच क्रमश: 9.5 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत रही हैं। हालांकि ' खनन एवं उत्खनन' क्षेत्र में भी 90 प्रतिशत की उच्च दर से वृद्धि हुई है। द्वितीयक क्षेत्र में 'विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य जनोपयोगी सेवाओं में 2017-18 और 2021-22 के बीच 14.5 प्रतिशत की उच्च दर से वृद्धि हुई। वहीं, 2017 -18 और 2021-22 के बीच तृतीयक क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्र वायु परिवहन- 10.5 प्रतिशत, भंडारण- 21.3 प्रतिशत, वित्तीय सेवाएं-12.6 प्रतिशत और लोक प्रशासन- 9.3 प्रतिशत थे। 

  4. सकल राज्य घरेलू उत्पाद में प्रमुख क्षेत्रों के हिस्से के लिहाज से देखें, तो 2021-22 में प्राथमिक क्षेत्र का हिस्सा 2020 21 के 21.4 प्रतिशत से थोड़ा घटकर 21.2 प्रतिशत रह गया । द्वितीयक क्षेत्र में भी थोड़ी गिरावट आई जो 2020-21 के 19.3 प्रतिशत से 2021 22 में 18.1 प्रतिशत रह गया। वहीं, 2020-21 और 2021 22 के बीच तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा 59.3 प्रतिशत से बढ़कर 60.7 प्रतिशत हो गया। 

  5. वर्ष 2020-21 में प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद के लिहाज से 38 जिलों की रैंकिंग में तीन सबसे समृद्ध जिले पटना, बेगूसराय और मुंगेर हैं जिनकी प्रति व्यक्ति आय क्रमशः 1,15,239 रुपये, 45,497 रुपये और 42,793 रुपये रहा है। दूसरी ओर, तीन सबसे गरीब जिले शिवहर, अररिया और सीतामढ़ी रहे हैं, जिसकी प्रति व्यक्ति आय क्रमशः 18,692 रुपया, 19,527 रुपया और 20,631 रुपया रहा है।

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