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Factories Act Part-2 MCQs

Test Instructions –  Factories Act  All questions in this test are curated from the chapter on the Factories Act, 1948, as covered in our book  Labour Laws and Industrial Relations . 📚 If you’ve studied this chapter thoroughly, this quiz offers a chance to assess your understanding and retention. The test includes multiple-choice questions that focus on definitions, governance, benefits, and procedural aspects under the Act. ✅ Each correct answer awards you one mark. At the end of the test, your score will reflect your grasp of the subject and guide any revisions you might need. 🕰️ Take your time. Think through each question. Ready to begin? Let the assessment begin! Book- English Version - " Labour Laws & Industrial Relation " हिंदी संस्करण- " श्रम विधान एवं समाज कल्याण ” Factories Act Part-2 MCQs Factories Act, 1948 - Part-2 - MCQ Quiz Submit

बिहार में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र

दोस्तों बिहार के संबंध क्या आप निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर बता सकते है?
  • बिहार का क्षेत्रफल कितना लाख हेक्टेयर है?
  • बिहार में श्रमशक्ति सर्वेक्षण के अनुसार लगभग कितने प्रतिशत श्रमिक आज भी कृषि में नियोजित हैं?
  • गत पांच वर्षों के दौरान कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र की वृद्धि दर लगभग कितने प्रतिशत रही?
  • राज्य के कुल क्षेत्रफल का कितना प्रतिशत जमीन कृषि के अंतर्गत निवल बुआई क्षेत्र में शामिल है?
  • अंतिम कृषि जनगणना के अनुसार बिहार में कितने% सीमांत किसान है?
यदि आप इन तथ्यों से अवगत नहीं हैं तो आइये पढ़ते है इस आर्टिकल को.............





  1. संयुक्त राष्ट्र संघ के संधारणीय विकास लक्ष्य (एसडीजी), 2030 का एक महत्वपूर्ण घटक गरीबी और भूख का निवारण है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बिहार में कृषि क्षेत्र को मुख्य भूमिका निभानी है। कृषि का विकास बिहार की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  2. बिहार देश के पूर्वी क्षेत्र का राज्य है। इसका क्षेत्रफल 93.60 लाख हेक्टेयर है जो देश के कुल भूक्षेत्र का लगभग 3 प्रतिशत है। वहीं, देश की कुल आबादी में राज्य का 8.6 प्रतिशत हिस्सा है। जहां राष्ट्रीय जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, वहीं बिहार का जनसंख्या घनत्व 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। फलतः, राज्य में जमीन की सीमित आपूर्ति के कारण काफी दबाव बनता है।

  3. जनगणना 2011 के अनुसार राज्य की न्यूनतम 88 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। वहीं, राष्ट्रीय प्रतिशत सर्वेक्षण संगठन के सावधिक श्रमशक्ति सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत श्रमिक आज भी कृषि में नियोजित हैं।

  4. जलवायु और गैर- जलवायु कारकों, दोनो के चलते बिहार में कृषि अर्थव्यवस्था के विकास की जोखिम और चुनौतियां मौजूद हैं। अनियमित वर्षा, बार-बार बाढ़ आना या सूखा पड़ना, जोतों का छोटा आकार, और पर्याप्त औपचारिक ऋण उपलब्ध नहीं होना कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो राज्य के कृषि क्षेत्र को परेशान करती हैं।

  5. गत पांच वर्षों के दौरान कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र की वृद्धि दर लगभग 5 प्रतिशत थी । 2021-22 में सकल राज्यगत मूल्यवर्धन में इस क्षेत्र का 21.2 प्रतिशत हिस्सा रहा। वर्ष 2021-22 में सकल राज्यगत मूल्यवर्धन में कृषि के उप-क्षेत्रों का योगदान, फसल क्षेत्र में 11.1 प्रतिशत, पशुधन में 6.6 प्रतिशत, और मत्स्याखेट एवं जलकृषि में 1.8 प्रतिशत तथा वानिकी में 1.6 प्रतिशत रहा।

  6. 2020-21 में राज्य के कुल क्षेत्रफल का 6.6 % यानि 621.64 हजार हेक्टेयर वन भूमि है। इसी प्रकार परती भूमि, चारागाह, टाल क्षेत्र, बागानी भूमि, बंजर भूमि आदि को मिलकर कुल क्षेत्रफल का 46.1% यानि 4314.25 हजार हेक्टेयर जमीन कृषि के योग्य भूमि नहीं है।

  7. 2020-21 में राज्य के कुल क्षेत्रफल का 53.9 प्रतिशत अर्थात 5045.36 हजार हेक्टेयर जमीन कृषि के अंतर्गत निवल बुआई क्षेत्र में शामिल रहा। वर्ष 2020-21 में बिहार में शुद्ध बुआई क्षेत्र 50.5 प्रतिशत था। 

  8. 2020-21 में राज्य में फसल सघनता 2018-19 के 1.43 से बढ़कर 2020-21 में 1.44 हो गई। जैसा कि हम जानते है, फसल सघनता को एक वर्ष में कुल कृषित क्षेत्र (Total cultivated area) व निवल कृषित क्षेत्र (Net cultivated area) के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है। 

  9. वर्ष 2020-21 में सर्वाधिक 81.6 प्रतिशत निवल बुआई क्षेत्र भोजपुर में था और उसके बाद 80.5 प्रतिशत बक्सर तथा 74.4 प्रतिशत सीवान में रहा।

  10. राज्य स्तर पर प्रयुक्त जोतों की कुल संख्या 2005-06 के 1.466 करोड़ से 12 प्रतिशत बढ़कर 2015-16 में 1.641 करोड़ हो गई। वहीं, कुल प्रयुक्त क्षेत्रफल 2005-06 में 62.5 लाख हेक्टेयर था जो 3.3 प्रतिशत बढ़कर 2015-016 में 64.6 लाख हेक्टेयर हो गया। जैसा कि हम जानते है प्रयुक्त जोतों (Operational Holding) से तात्पर्य जोत में शामिल प्रति इकाई से है जो अकेले या संयुक्त रूप से किसी जमीन के हिस्से पर जोत का कार्य करते है। 

  11. कुल मिलाकर देखें तो 2015-16 में कुल प्रयुक्त क्षेत्रफल में लघु एवं सीमांत जोतों का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा था जबकि बड़ी जोतों का हिस्सा 1 प्रतिशत से भी कम था। जैसा कि हम जानते है 1 हेक्टेयर से कम जोत वाले किसान को सीमांत, 1 से 2 हेक्टेयर तक जोत वाले किसान को लघु, 2 से 4 हेक्टेयर तक जोत वाले किसान को अर्ध-मध्यम, 4 से 10  हेक्टेयर तक जोत वाले किसान को मध्यम तथा 10 हेक्टेयर तक जोत वाले किसान को वृहत श्रेणी में रखा जाता है। 

  12. जोत के क्षेत्रफल के आधार पर 2015-16 के कृषि जनगणना के अनुसार बिहार में 57.73 % सीमांत, 18.25% लघु तथा 0.7% वृहत जोत की जमीन उपलब्ध है। वही जोत के संख्या के आधार पर 91.21% सीमांत किसान, 5.75% लघु किसान एवं नगण्य मात्रा में वृहत किसान है।

  13.  बिहार में अनाजों, फलों और सब्जियों की खेती तीन कृषि मौसमों में की जाती है - खरीफ (जून से सितंबर), रबी (अक्तूबर से मार्च) और गरमा या जायद (अप्रील से जून)।

  14. वर्ष 2021-22 में अनाज वाली फसलों का कुल शस्य क्षेत्र में 85 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा रहा था जिसके बाद 6.4 प्रतिशत दलहनी फसलों का, 3.1 प्रतिशत ईख का और 1.7 प्रतिशत तिलहन का हिस्सा था। कुल कृष्य क्षेत्र में अनाज और दलहन को मिलाकर खाद्यान्नों का लगभग 94.3 प्रतिशत हिस्सा था। 

  15. बिहार में कुल खाद्यान्न उत्पादन 2019-20 में 163.8 लाख टन था जो 2021-22 में 184.9 लाख टन हो गया। वहीं, कुल अनाज उत्पादन 2019-20 की अपेक्षा 20.5 लाख टन बढ़कर 2021-22 में 181.0 लाख टन हो गया जो 6.2 प्रतिशत की वृद्धि है। 

  16. अनाजों की उत्पादकता 2021-22 में 3012 किग्रा प्रति हेक्टेयर, गेहूं की उत्पादकता 3078 किग्रा प्रति हेक्टेयर, धान की उत्पादकता 2496 किग्रा प्रति हेक्टेयर और मक्का की उत्पादकता 5236 किग्रा प्रति हेक्टेयर थी।

  17. तिलहनों का उत्पादन 2021-22 में 1.21 लाख टन था और उनकी उत्पादकता 1048 किग्रा प्रति हेक्टेयर थी । तिलहनों के बीच अंडी की उत्पादकता में सर्वाधिक वृद्धि हुई जिसके बाद कुसुम और तीसी का स्थान था ।

  18.  दलहनों के उत्पादन में काफी सुधार हुआ जिसमें 2019-20 से 2021-22 के बीच 7.7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई। इसे प्राप्त करना मुख्यतः चना (18.8 प्रतिशत), मसूर (17.4 प्रतिशत) और खेसारी (15.5 प्रतिशत) के उत्पादन के कारण ही संभव हो सका। कुल दलहनों की उत्पादकता 2021-22 में 891 किग्रा प्रति हेक्टेयर रही।

  19. गन्ना विभाग के अनुमान के अनुसार, राज्य में 2021-22 में कुल 119.77 लाख टन ईख का उत्पादन हुआ जबकि उत्पादकता 49.70 टन प्रति हेक्टेयर थी ।

  20. राज्य में दलहनों और तिलहनों का रिकॉर्ड उत्पादन 'पूर्वी क्षेत्र में चावल के परती खेतों का लक्ष्यीकरण (टीआरएफए) योजना के तहत धान की खेती के बाद खाली हुए खेतों में इन फसलों की खेती के लिए विशिष्ट योजनाओं के तहत ही संभव हो सका। 

  21.  धान उत्पादन के लिहाज से अग्रणी जिले रोहतास ( 9.93 लाख टन ), औरंगाबाद ( 7.06 लाख टन) और कैमूर (4.99 लाख टन) हैं जिनका 2021-22 में राज्य के कुल चावल उत्पादन में 28.5 प्रतिशत हिस्सा था। उपज बढ़ाने के लिए श्री विधि (चावल सघनीकरण प्रणाली) और जीरो टिलेज विधियों से अधिक उत्पादन हासिल करने के अलावा, धान के सूखा-रोधी प्रभेदों के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। 

  22. वर्ष 2021-22 में गेहूं की उत्पादकता के मामले में प्रमुख जिले रोहतास (7.29 लाख टन), कैमूर (3.84 लाख टन) और पश्चिम चंपारण (3.36 लाख टन ) थे जिनका इस वर्ष राज्य के कुल गेहूं उत्पादन में संयुक्त रूप से 21 प्रतिशत हिस्सा था। 

  23. वर्ष 2021-22 के उत्पादन स्तर के अनुसार, मक्का की खेती में प्रथम तीन जिले कटिहार (6.59 लाख टन), पूर्णिया (4.03 लाख टन ) और खगड़िया (2.94 लाख टन ) रहे है।

  24. वर्ष 2021-22 में दलहन उत्पादन में अग्रणी जिले पटना (0.58 लाख टन), औरंगाबाद (0.30 लाख टन) और नालंदा (0.21 लाख टन ) थे जिनका राज्य के कुल दलहन उत्पादन में संयुक्त रूप से लगभग 27.8 प्रतिशत हिस्सा था।

  25. प्रमुख ईख उत्पादक जिलों में पश्चिम चंपारण का अग्रणी स्थान है जहां 2021-22 में राज्य के 56.98 प्रतिशत ( 68.24 लाख टन ) ईख का उत्पादन हुआ। राज्य के अन्य प्रमुख ईख उत्पादक जिले पूर्व चंपारण ( 12.13 लाख टन ), गोपालगंज (11.50 लाख टन) और मुजफ्फरपुर (6.65 लाख टन) हैं। 

  26. वर्ष 2021-22 में फलों के बीच सबसे अधिक जमीन पर आम के बगीचे थे जिसका कुल क्षेत्रफल में 44 प्रतिशत हिस्सा था। उसके बाद केला का 11.8 प्रतिशत और लीची का 10.1 प्रतिशत हिस्सा था। वही उत्पादन के मामले में केला का हिस्सा सर्वाधिक 39.5 प्रतिशत और उसके बाद आम का 31.1 प्रतिशत हिस्सा था।

  27. वर्ष 2021-22 में केला का उत्पादन मधुबनी में 5.32 लाख टन, वैशाली में 4.26 लाख टन और मुजफ्फरपुर में 1.40 लाख टन था जिनका राज्य के कुल उत्पादन में लगभग 55.8 प्रतिशत हिस्सा था। 

  28. 2021-22 में राज्य में सब्जियों का कुल उत्पादन 3.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 178.45 लाख टन हो गया। वहीं, सब्जियों के उत्पादन का समग्र क्षेत्रफल 2021-22 में 9.11 लाख हेक्टेयर हो गया।

  29. कुल सब्जी उत्पादन में 90.35 लाख टन आलू, 13.28 लाख टन प्याज, 12.04 लाख टन बैंगन, 11.62 लाख टन टमाटर, 10.31 लाख टन फूलगोभी, 7.94 लाख टन भिंडी, 7.22 लाख टन पत्तागोभी, और 6.56 लाख टन लौकी शामिल हैं।

  30. केंद्र सरकार के कार्यक्रम समेकित बागवानी विकास मिशन का क्रियान्वयन अब राज्य के 23 जिलों में किया जा रहा है। उसी पैटर्न पर शेष 15 जिलों में मुख्यमंत्री बागवानी विकास मिशन का भी क्रियान्वयन किया जा रहा है। बागवानी संबंधी महत्वपूर्ण कृषि व्यवहार अपनाने के लिए राज्य सरकार किसानों को 50 प्रतिशत सहायता दे रही है।

  31. 11 मखाना उत्पादक जिलों में क्षेत्र विस्तार और नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग के जरिए मखाना का उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार विशेष मखाना विकास कार्यक्रम का भी क्रियान्वयन कर रही है। अगस्त 2022 में बिहार को 'मिथिला मखाना' के लिए जीआइ टैग मिला है जिसने राज्य के इस अनन्य उत्पाद को नई पहचान दिलाई है। राज्य में शाही लीची, जर्दालू आम, मगही पान और कतरनी चावल को पहले से ही जीआई टैग मिला हुआ है। 

  32. राज्य में 2021-22 में अंडा का उत्पादन 306.66 करोड़, मांस का उत्पादन 3.92 लाख टन, तथा दूध का उत्पादन 121.19 लाख टन पहुंच गया है।

  33. सबसे हाल में 2019 में हुई पशुगणना से पता चलता है कि बिहार में पशुओं की कुल संख्या 2003 के 2.70 करोड़ से 35.5 प्रतिशत बढ़कर 2019 में 3.65 करोड़ हो गई।

  34. राज्य में 2021-22 में विभिन्न स्रोतों से दूध उत्पादन में गायों का 64.0 प्रतिशत, भैंसों का 33.7 प्रतिशत और बकरियों का 2.3 प्रतिशत हिस्सा था। 

  35. राज्य में मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास के लिए किसानों को वित्तीय और तकनीकी सहायता देने के लिए राज्य सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं। जैसे- मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना, नदी मत्स्यपालन ( रिवर रैचिंग ) कार्यक्रम, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मछली फसल बीमा योजना, आदि।

  36. समग्र कृषि विकास के हर आयाम का ध्यान रखने के लिए राज्य सरकार अभी अनेक कार्यक्रम चला रही है। जैसे- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम, जैविक कॉरीडोर योजना, डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के जरिए धान और मक्का के संकर बीजों की जेनेटिक पहचान योजना, फसलों की ठूंठ जलाना, डीजन सब्सिडी योजना, प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना, उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना, आदि।

  37. जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम का आरंभ 2019-20 के रबी मौसम में हुआ था।इसके दो भाग हैं - (क) जलवायु संबंधी वर्तमान और आसन्न जोखिमों से निपटने के लिए व्यवहारिक रणनीति, और (ख) राज्य के सभी जिलों में जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकी का निदर्शन | सितंबर 2019 में शुरुआत के बाद आठ जिलों (नवादा, गया, नालंदा, मुंगेर, बांका, भागलपुर, मधुबनी और खगड़िया) में पायलट कार्यों की शुरुआत की गई। उत्साहवर्धक अनुभव को देखते हुए कार्यक्रम का विस्तार राज्य के सभी जिलों में कर दिया गया। 

  38. सकल सिंचित क्षेत्र कुल मिलाकर 2016-17 के 53.41 लाख हेक्टेयर से थोड़ा बढ़कर 2020-21 में 54.96 लाख हेक्टेयर हो गया। विभिन्न स्रोतों के बीच नलकूप या कुएं मुख्य स्रोत हैं जिनसे सकल सिंचित क्षेत्र के लगभग 63.4 प्रतिशत हिस्से की सिंचाई होती है। इसके बाद 30.9 प्रतिशत हिस्सा नहरों के पानी का है। सकल सिंचित क्षेत्र में तालाबों से सिंचाई का महज 2 प्रतिशत हिस्सा है। 

  39. तीसरे कृषि रोडमैप ( 2017 - 22 ) में जैविक खेती को बढ़ावा देने पर खास जोर दिया गया है। वर्ष 2019-20 में जैविक कॉरीडोर योजना का आरंभ राज्य के 13 जिलों (पटना, बक्सर, भोजपुर, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर, नालंदा, लखीसराय, कटिहार और खगड़िया) में किया गया था। इनमें से अधिकांश जिले गंगा नदी के किनारे के हैं और कार्यक्रम का आशय संकुल स्वरूप में संधारणीय और जैविक खेती को बढ़ावा देना था। यह योजना जल - जीवन - हरियाली कार्यक्रम की महत्वपूर्ण घटक भी है।

  40. कृषि विभाग ने दो उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए हैं- एक चंडी में सब्जियों के लिए और दूसरा देसारी में फलों के लिए। वर्ष 2022 में सब्जी उत्कृष्टता केंद्र ने किसानों को सब्जियों के 8.48 लाख पौधे उपलब्ध कराए थे जबकि फल उत्कृष्टता केंद्र ने किसानों को 2.12 लाख फल रोपण सामग्री उपलब्ध कराई। 

  41. राज्य सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत सिंचाई के पानी के कुशल उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणाली लगाने पर 90 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है।

  42. पश्चिम कोशी नहर योजना : यह बहुद्देश्यीय परियोजना है जिसका 35.13 किमी हिस्सा नेपाल में है और 56.69 किमी हिस्सा भारतीय क्षेत्र में। 803 करोड़ रु. के अनुमानित व्यय वाली यह परियोजना मधुबनी और दरभंगा जिलों में निर्माणाधीन है। इसके कार्यों में नई सिंचाई प्रणाली का निर्माण और नहरों तथा ढांचों का पुनःस्थापन शामिल हैं। इस योजना से कुल 2,65,265 हे सिंचाई क्षमता सृजित होगी जिससे मधुबनी जिले के 19 और दरभंगा जिले के 5 प्रखंड लाभान्वित होंगे। इस योजना को मार्च 2023 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है। 

  43. हर खेत तक सिंचाई का पानी : राज्य सरकार ने इस अग्रणी पहल की शुरुआत सात निश्चय -2 के तहत की है और इसे 'हर खेत तक सिंचाई का पानी' नाम दिया है। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी गांवों के असिंचित खेतों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है।राज्य के हर खेत को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने के मकसद से कृषि विभाग ने सात निश्चय - 2 के तहत 30 फीट से कम चौड़ाई वाले 1480 पक्के चेक डैम के निर्माण की स्वीकृति दी है।

  44. कमला नदी पर बराज निर्माण : 405.66 करोड़ रुपया के व्यय से कमला नदी पर बराज का निर्माण प्रगति पर है। इसका निर्माण मार्च 2023 तक पूरा हो जाने का अनुमान है। इसका वर्तमान कृष्य कमांड क्षेत्र 28,384 हेक्टेयर है और इस बराज से 1175 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित होगी।

  45. विश्व बैंक द्वारा बांध टूटने के स्थान के निरीक्षण के बाद उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया गया था जो बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के तहत शोध एवं विकास स्कंध का काम करे। विश्व बैंक के सुझाव के बाद पटना में गणितीय मॉडलिंग केंद्र और बीरपुर में भौतिक मॉडलिंग केंद्र की स्थापना के लिए बिहार के जल संसाधन विभाग द्वारा 2011-12 में स्वीकृति दे दी गई थी ।

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